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सर्वप्रथम मैं अपना हार्दिक आभार उनलोगों के प्रति प्रकट करना चाहूँगा, जिन्होंने एक ऐसे विद्यालय की कल्पना किया जो आज के वर्तमान परिपेक्ष्य में पाश्चात्य प्रभाव जहाँ हमारे समाज को अत्यधिक प्रभावित कर रहा है, इसके मध्य में यह अपने विसरते संस्कारों और संस्कृति को जीवंत रखने का काम किया है। इसमें प्रमुख है स्व॰ आनन्दमय भट्टाचार्य, स्व॰ दुर्गा प्रसाद नेवटिया, श्री महावीर प्रसाद मथुरावाले, श्री घनश्याम महतो, श्री युगल जायसवाल एवं जिन्हें शुरू में संयोजक के रूप में सारा दायित्व सौंपा गया, श्री बसंत कुमार हेतमसरिया। तत्पश्चात विद्यालय कार्यकारिणी समिति में प्रथम सचिव के रूप में लगातार कई वर्षाे तक सेवारतर रहे श्री हेतमसरिया जी जिन्हें मैं व्यक्तिगत रूप से भी जानता हूँ कुशल समाजसेवी एवं बुद्धिजीवी के रूप में। मैं स्वीकारता हूँ कि शुरूआती दौर में मैंने कुछ भी योगदान इस विद्यालय को नहीं किया जिसका मुझे खेद भी है, और मैं आज अध्यक्ष के रूप में इस विद्यालय में सेवारत्त हूँ।
इस विद्यालय से जुड़े भैया-बहन और आचार्य जी, दीदीजी का सम्मान करते हुए उनके उत्कृष्ट भविष्य की कामना करता हूँ। यह विद्यालय बहुत आगे तक जाए इसकी भी मैं हार्दिक रूप से कामना करता हूँ। देश विदेश में जिस तरह से भैया-बहन परचम लहरा रहे हैं, आनेवाले भैया-बहनों के लिए भी मेरी शुभकामनाऐं है कि अपने विद्यालय का नाम इसी प्रकार से रौशन करते रहें।
श्री कमल बगरिया
अध्यक्ष
रा॰ प्र॰ च॰ स॰ विद्या मंदिर
रामगढ़ कैंट